जानें बैठने की सही मुद्रा क्या है और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं से कैसे बचें

जानें बैठने की सही मुद्रा क्या है और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं से कैसे बचें

सेहतराग टीम

रीढ़ या स्पाइन हमारे शरीर का आधार है और सही पास्चर (अवस्था या मुद्रा) में नहीं बैठने या सोने की वजह से पीठ दर्द, कमर दर्द और टांगों में कई प्रकार से दर्द होता है। यह दर्द बाद में रीढ़ से संबंधित किसी रोग में भी बदल जाता है। एम्स के डॉ. के. एम. नाधीर का कहना है, “रीढ़ की हड्डी का दर्द आमतौर पर गर्दन (सर्वाइकल) पीठ के बीच के हिस्से (थोरेसिक) और पीठ के निचले हिस्से (लम्बर) में भी हो सकता है या फिर दर्द पूरी रीढ़ की हड्डी में भी महसूस हो सकता है। कुछ मामलों में रीढ़ की हड्डी का दर्द किसी प्रकार के रोग या रीढ़ की हड्डी से संबंधित विकार का संकेत भी दे सकता है।

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आज की जीवनशैली ही ऐसी हो गई है कि लोग घंटों कम्प्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल में लगे रहते हैं। इतने व्यस्त हैं कि ब्रेक तक लेने का समय नहीं और फिर गलत पोस्चर में बैठकर काम करते रहते हैं। गलत पास्चर में बैठने का सबसे ज्यादा बुरा असर रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है। गलत पास्चर में कुर्सी पर बैठने, उठने या झुक कर गाड़ी चलाने के कारण पीठ में दर्द की समस्या हो जाती है। यह स्थिति रीढ़ की हड्डी को ज्यादा देर तक सीधा न रखने के कारण पैदा होती है। लंबे समय तक बैठे रहने से गर्दन और पीठ दोनों पर जोर पड़ता है और इससे इंटरवर्टिबरल डिस्क में सूजन का खतरा रहता है। बैक बोन या वर्टिबरल कॉलम एक के बाद एक हड्डियों और मुलायम संरचना (डिस्क) से बना होता है। इनमें सूजन आ जाती है तो स्पाइनल कॉर्ड बुरी तरह जख्मी हो जाता है और पीठ की हड्डी से जुड़ी कई बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। रीढ़ की हड्डी खोपड़ी से लेकर पेल्विस हिस्से तक चलती है। रीढ़ पूरे शरीर के वजन को संतुलित करके शरीर की संरचना को सपोर्ट देती है और इससे आप शरीर को हिला-डुला सकते हैं। रीढ़ की हड्डी को नुकसान होने से चलने, झुकने और घूमने में परेशानी हो सकती है।

डॉ. नाधीर का कहना है कि अपनी शारीरिक मुद्रा का विशेष ध्यान रखें। स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज और भारी चीजें उठाने के सही तरीके को सीखकर रीढ़ की हड्डी से जुड़े जोखिम को कम किया जा सकता है। नियमित योग से भी लचीलापन, मजबूती और संतुलन बनाए रखा जा सकता है।

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रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ और मजबूत रखने के 5 योगासन-

बालासन:

घुटनों के बल बैठें। शरीर के पूरे भार को एड़ियों पर डालें, फिर आगे की तरफ झुक जाएं। सीना आपकी जांघों से छूते हुए माथे से जमीन को छूने का प्रयास करें। कुछ समय इस अवस्था में रहते हुए वापस पहली वाली अवस्था में आ जाएं।

मकरासन:

जमीन पर पेट के बल लेट जाएं। इसके बाद अपनी कोहनियों के बल पर अपने सिर और कंधे को उठाएं। हथेलियों पर थोड़ी को टिकाएं। फिर आंखों को बंद करें और पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें।

ताड़ासन:

सीधा खड़े होकर दोनों हाथों को सिर से ऊपर की ओर ले जाएं और  शरीर को ऊपर की तरफ खींचें। इसी अवस्था में कुछ समय तक रहना होगा। शरीर को पहले वाली अवस्था में लेकर जाएं। तीन या चार बार करने से लाभ मिलेगा।

भुजंगासन:

पेट के बल लेट जाएं। कंधे की सीध में दोनों हाथों को रखते हुए हथेलियों को मैट पर टिकाएं। अब सांस भरते हुए मुंह बंद करके नाभि तक के भाग को ऊपर सांप के फन की तरह उठाएं। फिर पहली मुद्रा में नीचे आएं। इसी चक्र को दो से तीन बार पूरा करिए।

उष्ट्रासन:

घुटनों के ऊपर खड़े होकर एड़ी-पंजे मिले हुए तथा पैरों के अंगूठे की आकृति अंदर की ओर रखें। हाथों को सामने से ऊपर की ओर ले जाएं और फिर अपने दोनों हाथों को कान से मिलाकर रखें, ऐसी स्थिति में दोनों हाथों के मध्य में सिर रहना चाहिए। सिर से जंघाओं का भाग पीछे की ओर उलटते हुए हाथ के पंजों से एड़ियों को पकड़ें। गर्दन को ढीला छोड़ते हुए कमर को ऊपर की ओर ले जाएं तथा सिर पीछे की ओर लटका रहे। वापस आते समय हाथों को घुमाते हुए वापस आ जाते हैं।

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डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

डॉ. नाधीर बताते हैं, यदि रीढ़ की हड्डी में गंभीर दर्द हो रहा है और आराम करने से भी कम नहीं हो रहा, इसके कारण एक या दोनों टांगों में कमजोरी, सुन्न होना या झुनझुनी महसूस हो रही हो, रीढ़ की हड्डी का दर्द टांगों तक फैल गया है, खासकर यदि यह घुटनों से भी नीचे तक महसूस होने लगा है और यदि रीढ़ की हड्डी में दर्द होने के साथ-साथ वजन भी कम हो रहा है, जिसका कारण पता नहीं है तो डॉक्टर को दिखा देना चाहिए।

(साभार- हिन्दुस्तान)

 

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